सहजना,मोरिंगा,ड्रमस्टिक ऐसे कई नामों से हम इस पेड़ को जानते हैं | आयुर्वेद की दृष्टि से भी यह पेड़ बहुत हितकारी है | आमतौर पर घरों में सब्जी के रूप में इसकी फली का सेवन किया जाता हैं | आइए अब जानते हैं सहजना के पेड़ के बारे में विस्तार से |
कहां से आया सहजना –
सर्वप्रथम इस पेड़ की खेती 2000 ईसा पूर्व की गई थी | मूलतः यह पेड़ भारत,अरब और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता रहा है | वर्तमान में भारत और पाकिस्तान में इसकी खेती सर्वाधिक होती है | फिलिपींस,मेक्सिको,श्रीलंका,मलेशिया आदि देशों में इसकी काफी मांग है |
आइये जानते है इस पेड़ के बारे में –

सहजना का पेड़ तेज़ी से बढ़ने वाले वृक्षों में से है | इसका रासायनिक नाम Moringa Oleifera है | यह वृक्ष उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तेज़ी से बढ़ता है | पेड़ की औसतन ऊंचाई 32-35 फीट तक होती है | इसे लगाने के मात्र 6 महीने के भीतर ही इस पर फूल आने शुरू हो जाते हैं | इस पर झुरमुट में फूल आते हैं | इसकी छाल का रंग सफेद – ग्रे होता है | तापमान की बात करें तो 25-30 डिग्री सेल्सियस में यह पेड़ अत्यधिक वृद्धि करता है | भारत के कुछ हिस्सों में फली के साथ – साथ इसके फूल एवम् पत्तियों का भी सेवन किया जाता है |
इसकी फली गहरे हरे रंग की होती है। जिसकी औसत लंबाई 6-15 इंच होती है | इसका स्वाद मीठे के साथ-साथ कड़वा भी लगता है। इसकी फली उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में साल भर उपलब्ध रहती है | मोरिंगा के लगभग हर भाग को काम में लिया जाता है, इसके बीज से तेल निकलता है तथा इसके छाल,पत्ती,गोंद,जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाईयां बनाई जाती हैं |
कई पोषक तत्वों से भरपूर है सहजना –

इसकी फली में आयरन,विटामिन c, बीटा-कैरोटीन, कॉपर और आयोडीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं | इसकी पत्ती का सब्जी बनाने के साथ ही आयुर्वेदिक दवा बनाने में भी उपयोग होता है | इसमें 92 प्रकार के मल्टीविटामिन,46 प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स,36 प्रकार के दर्द निवारक तत्व,18 प्रकार के अमीनो एसिड पाए जाते हैं |
शोध के अनुसार आयुर्वेद में इस पेड़ से 300 रोगों का उपचार बताया गया है, जिसमें पेट की बीमारी,न्यूरोजेनेटिव बीमारियां,मधुमेह,अस्थमा,गठिया,थायरॉयड आदि बीमारियां शामिल है |
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पोषक तत्वों कि तुलना –
विटामिन C – संतरे से 7 गुणा अधिक
विटामिन A – गाजर से 4 गुणा अधिक
कैल्सियम – दूध से 4 गुणा अधिक
पोटेशियम – केले से 3 गुणा अधिक
प्रोटीन – दही से 3 गुणा अधिक
आयुर्वेदिक उपयोग –

1. त्वचा एवं बालों के लिए हितकारी-
इसके बीज का तेल बालों को साफ और स्वस्थ रखता है | इसमें प्रोटीन बहुतायत में होता है, जिसके कारण यह त्वचा की कोशिकाओं को नुक्सान से बचाने में सहायक होता है | इसके साथ ही इसमें हाइड्रेटिंग और डिटॉक्सिफाइंग तत्व भी पाए जाते हैं, जो त्वचा को साफ और बालों को तेज़ी से बढ़ाने में सहायक होते है |
त्वचा के संक्रमण और घावों को ठीक करने में भी यह कारगर है |
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2. एडिमा को रोकने में –
चिकित्सकीय भाषा में एडिमा ऐसी स्थिति है जब शरीर ऊतकों के भीतर अतिरिक्त तरल पदार्थ फँसने के कारण सूजन आ जाती है | सहजना के सुजनरोधी तत्व एडिमा को बनने से रोकते हैं |
3. कैंसर को रोकने में –
इसके अर्क में ऐसे गुण होते हैं जो कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं | इसमें नियाजिमिसिन भी होता है, जो एक यौगिक है जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को दबाता है |
4. किडनी कि बीमारियों से बचाव में –
सहजना में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो किडनी में विषाक्तता के स्तर की सहायता करते हैं , यदि मोरिंगा का निरंतर सेवन किया जाए तो किडनी,मूत्राशय या गर्भाशय में पथरी होने की संभावना कम हो सकती है |
5. पेट की बीमारियों के इलाज में –
इसके अर्क से कुछ पेट की बीमारियों जैसे कब्ज, गैस्ट्रेटिस और अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज में मदद मिलती है, साथ ही इसमें उपस्थित एंटीबायोटिक और जीवाणुरोधी गुण विभिन्न रोगजनकों के विकास को रोकने में सहायक है और इसकी उच्च विटामिन बी की मात्रा पाचन में मदद करती है |
6. मधुमेह के इलाज में –
मोरिंगा रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद करता है | जिसके कारण हीमोग्लोबिन के स्तर और समग्र प्रोटीन तत्व में बढ़त होती है, जिससे मधुमेह के इलाज में सहायता मिलती है |
घरेलू उपयोग के बारे में कहें तो सब्जी और फली के अलावा भी इसके उपयोग होते हैं, यह पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है जो न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है |
कुछ वर्षों पहले सहजना का पेड़ लगभग हर गांव में मिल जाता था | परन्तु अब इसकी कमी धीरे-धीरे अनुभव की जा रही है | हमे इसी प्रकार कि पैतृक प्रजातियों के पौधों का रोपण कर उनका संरक्षण करना चाहिए |
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